यदि कवि के द् वारा किए गए भाषा-प्रयोग से उसकी विवक्षा पूर्ण संप्रेषण न हो पाए या उस संप्रेषण से भावक के मन में कवि के हृदयस्थ संवेदना न उत्पन्न हो सके अथवा ये दोनों बातें हो तो उस भाषा-प्रयोग को कविता कहने में संदेह होता है क्योंकि सभी कविताओं की भाषा में अन बातों की अभाव मिलता है।